sachcha pyar kya hai | सच्चा प्यार क्या है

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सच्चा प्यार क्या है sachcha pyar kya hai

दोस्तों आज हमारी कहानी का शीर्षक है सच्चा प्यार क्या है sachcha pyar kya hai.

एक मिडिल क्लास का लड़का जिसका नाम सुरेश था। जब वो छोटा ही था तो एक दुर्घटना में उसके मां-बाप की मौत हो गई। वह अपने मामा के पास रहने लगा। सुरेश पढ़ाई में होशियार था। उसका दिमाग भी बहुत तेज था इसलिए उसके सभी टीचर उसे बहुत पंसद करते थे। उसके टीचर्स का मानना था कि यह लड़का अपने जीवन में बहुत अच्छा करेगा।
जब वह कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। उन दिनो में ही उसे एक लड़की से प्यार Love हो गया था जिसका नाम किरण था। किरण अमीर घर से थी इसलिए सुरेश अपनी हैसियत देख किरण से अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया। फाइनल में सुरेश ने अपनी युनिवर्सिटी में प्रथम स्थान प्राप्त किया। सुरेश जिस कॉलेज में पढ़ता था उसी कॉलेज में उसे प्रोफेसर की नौकरी मिल गई और उसने किरण से शादी कर ली।
सुरेश को लिखने का बहुत शौक था इसलिए वो हर जरूरी बात डायरी में लिख लेता था।
एक बार दोनों घूमने गये जहां उनका एक्सीडेंट हो गया पर दोनों बच गये, इस एक्सीडेंट से दोनो का जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक्सीडेंट के बाद किरण को पता चला कि उसका पति कभी बाप नहीं बन सकता। यह सुनकर किरण अंदर ही अंदर टूट जाती है। जमाना सुरेश के बारे में तरह-तरह की बातें करने लगता है और उसका पीठ पीछे मजाक बनने लग जाता है पर सुरेश इन चीजों पर ध्यान नहीं देता।
एक दिन किरण सुरेश से एक बच्चा गोद लेने की इच्छा जाहिर करती है, कहती है कि अनाथ बच्चे को गोद लेंगे तो उसे मां-बाप का प्यार Love मिल जायेगा और हमें बच्चे का प्यार। सुरेश किरण की बात को मान लेता है और वो एक बच्चा गोद ले लेते हैं लेकिन जमाना अब भी सुरेश को ताने देता है।
कुछ दिन बाद सुरेश की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है।
एक दिन किरण अपने पति के सामान को सम्भाल रही होती है तब उसकी नजर सुरेश की लिखी हुई डायरियों पर पड़ती है। वह एक-एक कर सभी डायरियों का पढ़ना शुरू करती है। एक डायरी के अंदर एक लिफाफा होता है, किरण जैसे ही उस लिफाफे को खोलती है उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है।
लिफाफे के अंदर एक रिपोर्ट होती है जिसमें लिखा है कि एक्सीडेंट में आपकी पत्नी की मां बनने वाली जगह पर गहरा घाव हो गया है इसलिए अब वह मां नहीं बन सकती। डायरी के अगले पन्ने पर लिखा होता है कि जैसे ही मैने इस बात का जाना डॉक्टर से हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा कि इस बारे में मेरी पत्नी से कुछ न कहे। बल्कि ये कहे कि मै बाप नहीं बन सकता, इस दुर्घटना के बाद मैं नंपुसक बन गया हुं। वो यह बात बर्दाश्त नहीं कर पायेगी और यह जमाना उसे बांझ कह कहकर उसका जीना मुश्किल कर देगा। जो मैं बर्दाश्त नहीं कर पांउगा इसलिए आप सारे दोष मुझपर डाल दें। मैं अपने उपर सारी बातें बर्दाश्त कर लूंगा।
डायरी के आखरी पेज में लिखा था एक न एक दिन मेरी लिखी हुई सारी डायरियां तुम्हें मिल जायेंगी। तुम उन्हें जला देना। मैं तुम्हें दुखी नहीं देख सकता। मुझे पता है तुम मुझसे बहुत मोहब्बत Love करती हो। तुम चाहती तो मुझे छोड़कर दूसरी शादी कर सकती थी लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। मुझसे वादा करो कि इस बात का जिक्र तुक किसी से नही करोगी और न कभी अपने आप को दोषी मानोगी।
किरण की आंखों से आंसु बहे जो रहे थे, वह सोच रही थी मेरे लिए इतना बड़ा बलिदान।

अन्य निबन्ध

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